BA Semester-5 Paper-2 Home Science - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 7

एन.जी.ओ. एवं अन्य

(NGO and Others)

प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

कपार्ट, गैर-सरकारी संगठन और सामुदायिक विकास
(CAPART, NGO and Community Development)

काउंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी यानी कपार्ट (जनकार्य एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रोन्नयन परिषद्) ने गैर-सरकारी संगठनों के जरिये ग्रामीण भारत के विकास की प्रक्रिया आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कपार्ट एक स्वायत्तशासी निकाय है, जिसका पंजीकरण 1986 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में किया गया था। कपार्ट का उद्देश्य देश में स्वैच्छिक आंदोलन को सुदृढ़ बनाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाना और ग्रामीण नवीन ग्रामीण प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने में सहायता करना है। पिछले 25 वर्षों से कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों की गति तेज करने में लगा हुआ है। उसने गैर-सरकारी संगठनों और स्वैच्छिक संगठनों को सुदृढ़ बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति सुधारने में योगदान करने के लिए प्रेरित किया है। कपार्ट विभिन्न परियोजनाओं के अन्तर्गत अनेक नयी विकास परियोजनाएँ सरकारी तंत्र और गैर-सरकारी संगठनों के जरिये कार्यान्वित करता रहा है और ऐसा करते हुए उसने खासतौर से ग्रामीण भारत के पिछड़े इलाकों तक पहुँच बनाई है।

कपार्ट की दूरदृष्टि और मिशन
(Vision and Mission of CAPART)

(1) कपार्ट की दूरदृष्टि विभिन्न सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ गतिशील और उत्प्रेरक भूमिका निभाना, सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करना और देश के बहुपक्षीय विकास में अपना अंशदान करना है।

(2) कपार्ट का मिशन गाँवों में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों के साथ घनिष्ठ तालमेल बैठाना और उन्हें निम्नलिखित उपायों द्वारा सशक्तीकृत करना है-

(i) उन्हें संवाद में शामिल करना।
(ii) उनके विचारों का सम्मान करना।
(iii) उनकी आवाज पर ध्यान देना।
(iv) उनके संसाधनों का संरक्षण करना।
(v) उनकी गतिविधियों के लिए निधियों की व्यवस्था करना।

(vi) उनके, और खासतौर से महिलाओं, ग्रामीण समाज के कमजोर वर्गों और विकलांगों तथा ग्रामीण समाज के अन्य वंचित वर्गों के हाथ मजबूत करना।

(vii) ग्रामीण समृद्धि के रास्ते पर उनके हाथों में हाथ डालकर साथ-साथ चलना।

कपार्ट के उद्देश्य
(Aims of CAPART)

(1) ग्रामीण समृद्धि के लिए परियोजनाओं के कार्यान्वयन में स्वैच्छिक कार्य को प्रोत्साहित करना और उसमें सहायता करना।

(2) नयी तकनीकी ज्ञान को ध्यान में रखते हुए ग्राम विकास के स्वैच्छिक प्रयासों को सुदृढ़ और समुन्नत करना तथा विकास और ग्रामीण प्रौद्योगिकियों के समुचित प्रचार-प्रसार के जरिये ग्रामीण समस्याओं को सुलझाना और विकास की गति तेज करना।

(3) स्वैच्छिक कार्य के लिए परियोजनाओं को प्रोत्साहित, नियोजित, विकसित, अनुरक्षित करना और उनके साथ सहयोग करना। इसके द्वारा ग्रामीण सामुदायिक जीवन में सुधार लाना तथा लघु उद्यमों और स्व-सहायता समूहों के जरिये रोजगार के अवसरों का सृजन करना, जागरूकता लाना, ग्रामीण गरीबों को संगठित करना और ग्रामीण उत्पादों के लिए विपणन व्यवस्था आसान बनाना।

(4) ग्रामीण लोगों में चेतना लाना और उन्हें बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित गैर-सरकारी संगठनों के जरिये अनेक प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराना तथा उनके ज्ञान-आधार की रक्षा करते हुए उनकी सहायता करना, उनके लिए पेटेंट अधिकारों की व्यवस्था करना और इससे संबंधित अन्य कार्य संपन्न करना।

ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-सरकारी संगठनों की सहायता
(Helping of NGOs in Rural Area)

ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-सरकारी संगठनों की सहायता की कपार्ट की योजना निम्न रूप से है- 

(1) जनसहयोग - जनसहयोग परियोजना कपार्ट की बहुत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय परियोजनाओं में से एक है और इसके लिए बहुपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य परियोजनाओं के अंतर्गत सृजित परिसंपत्तियों का अभिकल्पन, नियोजन, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और अनुरक्षण करना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत चलाई जाने वाली गतिविधियों का जोर ग्रामीण समुदाय के विभिन्न वर्गों पर होता है और उनका उद्देश्य स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करना और सुदृढ़ बनाना होता है, साथ ही, प्रशिक्षण के जरिये उनकी दक्षता को निखारना और उत्पादों के तैयार करने के काम में सहायता देना तथा उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करना है। इस कार्यक्रम की परियोजनाएँ गैर-सरकारी संगठनों के जरिये लागू की जाती हैं।

(2) ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रोन्नयन योजना - कपार्ट के आशय पत्र में कहा गया है कि इस परिषद् की भविष्य की दृष्टि में विभिन्न सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ एक गतिशील और उत्प्रेरक की भूमिका निभाना, सार्वजनिक नीति को प्रभवित करना और ग्रामीण भारत के बहुपक्षीय विकास में अपना अंशदान करना शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रमुख कार्यक्षेत्र निम्नलिखित हैं जिन्हें कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से लागू कर रहा है-

(i) ग्रामीण हित के मामलों पर राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को विकसित करने के उद्देश्य से वर्तमान संस्थानों को अनुसंधान और विकास के जरिये सुदृढ़ बनाना।

(ii) ग्रामीण क्षेत्रों के उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों, खासतौर से स्वैच्छिक संगठनों के अनुसंधान और विकास कार्यों की पहचान और वित्तपोषण करके इस मामले में उत्प्रेरक की भूमिका निभाना।

(iii) सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, स्वयंसेवी एजेंसियों और आम जनता को समुचित प्रौद्योगिकी अंतरित करने के माध्यम के रूप में काम करना और इसके लिए आधुनिक तकनीकों और ग्रामीण विकास की समुचित प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना।

(iv) अन्य संस्थानों, संघों और देश-विदेश के संगठनों के साथ सहयोग करना, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की घटक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ शामिल हैं।

(v) ग्रामीण जनता में जागरूकता पैदा करना और गैर-सरकारी संगठनों के जरिये अन्य सहयोगी सेवाएँ उपलब्ध कराना। इस कार्य में बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े मुद्दों पर विश्व व्यापार संगठन के संदर्भ में गैर-सरकारी संगठनों की सहायता ली जा सकती है। इस इस काम में उनके ज्ञान आधार और पेटेंट संबंधी अधिकारों तथा संबद्ध मामलों की रक्षा करना।

(vi) ग्रामीण विकास में इस्तेमाल के लिए समुचित प्रौद्योगिकी का डिजाइन इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि उनके जरिये समाज के वंचित वर्गों की समस्याएँ सुलझाई जा सकें और उनके जीविकोपार्जन के लिए आय में सुधार हो सके। आय आधारित परियोजनाओं के निरंतर विकास के जरिये रोजगार देने पर भी ध्यान दिया जाता है। इस परियोजना का प्रमुख जोर ऐसी नयी प्रौद्योगिकी प्रोत्साहित करने पर है जो गांवों में काम करने वाले नवाचारियों द्वारा अपनाई जा सके। ऐसी प्रौद्योगिकी को नयी माना जाता है जो स्थानीय रूप से विकसित की जाती है और किसी स्थानीय समस्या को सुलझाने के लिए बनाई जाती है। इन प्रयोगशाला सिद्ध प्रौद्योगिकियों की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों के गैर-सरकारी संगठनों को देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं-

(क) असंगठित क्षेत्र में उद्यमों के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन परियोजना।

(ख) ग्रामीण प्रौद्योगिकी और नवाचारों तथा नवाचारी मार्गदर्शन केन्द्रों के चयन कें प्रति अभिरुचि जाहिर करने वाले प्रकाशनों का प्रयोग।

(ग) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा चिन्हित प्रौद्योगिकियों पर कार्यशालाओं का आयोजन।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नयी दिल्ली के साथ संवाद स्थापित करके और उनके सहयोग के जरिये आठ प्रौद्योगिकियाँ चिन्हित की गई हैं, जिनका प्रचार-प्रसार गैर-सरकारी संगठनों के जरिये किया जाएगा। इसके लिए तकनीकी और वैज्ञानिक संसाधन संस्थान सहायता देते हैं।

(3) लाभाभियों का संयोजन - इस परियोजना के अंतर्गत कपार्ट गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों का ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों में चेतना पैदा करने के उद्देश्य से लाभार्थियों के संयोजन में सहायता करता है। इस परियोजना का उद्देश्य सही उद्देश्यों के लिए गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से गरीब समुदायों / समूहों की सहायता करना और उनकी आर्थिक- सामाजिक स्थिति को बेहतर कराने के अभियान में सहयोग करना है। इस कार्यक्रम के जरिये लोगों में जागरूकता बढ़ाकर उन्हें सौदेबाजी करने के लिए सशक्त किया जाता है ताकि वे वैधानिक पात्रता और अधिकारों के मामले में वह सब कुछ प्राप्त कर सकें जो सही अर्थों में उन्हें मिलना चाहिए।

(4) अशक्त (अन्य प्रकार से सशक्त) लोगों के लिए काम करना - 1995 में अशक्तता कार्य प्रभाग की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण विकास के लिए काम करते हुए विकलांग जनों के लिए समान रोजगार अवसर उपलब्ध कराने में सहायता करना था। इस कार्यक्रम का प्रमुख जोर गैर-सरकारी संगठनों के जरिये स्व-सहायता समूहों के गठन और जागरूकता पैदा करने पर है ताकि आर्थिक सहायता संबंधी गतिविधियाँ शुरू की जा सकें, जिनसे विकलांग जन स्वावलंबी बन सकें और विकास प्रक्रिया में समान आधार पर भाग लें।

इस क्षेत्र के लक्ष्य, जिन्हें गैर-सरकारी संगठनों द्वारा पूरा किया जाता है, इस प्रकार हैं- 

(i) स्थानीय परिस्थितियों और संस्कृति पर आधारित पुनर्वास परियोजनाएँ जो ऐसी योजनाओं के विस्तार में सहायक होती हैं और ग्रामीण क्षेत्रों के विकलांगों को समान अवसर उपलब्ध कराती हैं।

(ii) कपार्ट ने इस क्षेत्र में 7 सुस्थापित संगठनों को मान्यता दी है और उन्हें समुदाय आधारित पुनर्वास परियोजनाओं में सहायता देने का केन्द्र माना है।

(iii) दृष्टिकोण सांस्कृतिक और भौतिक बाधाओं का उन्मूलन जो ग्रामीण लोगों और विकलांगों को ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध सेवाओं, सुविधाओं, सूचना और विकास कार्यक्रम में भाग लेने से वंचित करती हैं। यह कपार्ट के द्वारा चलाई जा रही विकलांग कार्य परियोजना के मुख्य उद्देश्यों में से एक है।

(5) विपणन : ग्रामश्री मेला - कुल मिलाकर ग्रामीण उत्पादों के विपणन के लिए पहले कदम के रूप में ग्रामश्री मेलों का आयोजन किया गया और इनका प्रबंध गैर-सरकारी संगठनों ने किया। ग्रामश्री मेलों से ग्रामीण दस्तकारों को सीधे बाजार में अपने उत्पाद बेचने, ग्राहकों से संपर्क करने और ग्राहकों की जरूरतों, पसंद आदि को समझने का अवसर मिलता है। इस प्रकार से ये मेले उन्हें उत्पादों को बेहतर बनाने और विपणन दक्षता प्राप्त करने में सहायक होते हैं और उपभोक्ता को भी बेहतर सेवा उपलब्ध कराते हैं तथा साथ ही विपणन अवसर प्रस्तुत करके उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाते हैं।

(6) नये व्यावसायिकों के लिये परियोजना - कपार्ट ने नये व्यावसायिकों के लिए परियोजना की शुरूआत 1988 में की। इसका उद्देश्य विभिन्नतापूर्ण और प्रमुखतः असंगठित विकास क्षेत्र में व्यावसायिकता को प्रोत्साहन देना था। इसके लिए ग्रामीण विकास से संबंधित विषयों, जैसे सामाजिक कार्य, वन-विज्ञान, कृषि इंजीनियरी, विपणन आदि में परास्नातकों की भर्ती की गई और बाद में उन्हें जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों, ग्रामीण विकास मंत्रालय और कपार्ट के कार्यालयों में काम करने के अवसर दिए गए। इन युवा व्यावसायिकों की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए संविदा पर की गई। इस दौरान उन्हें प्रशासनिक और तृणमूल स्तर पर कार्य का अनुभव मिलने की संभावना है।

युवा व्यावसायिकों को विकास क्षेत्र में काम जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1994 में स्टार्टर पैकेज नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसके अंतर्गत इन युवा व्यावसायिकों को किसी ग्रामीण क्षेत्र में कम कर रहे गैर-सरकारी संगठन में रहते हुए एकबारगी अनुदान दिया जाता है।

कपार्ट के नये प्रयास
(New efforts of CAPART)

(1) कपार्ट ने हाल ही में भारत के योजना आयोग द्वारा चिन्हित 50 जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया है। आयोग ने इन जिलों की पहचान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से संबद्ध कृषि विज्ञान केन्द्रों की सहायता से की है। इनका उद्देश्य नयी ग्रामीण प्रौद्योगिकियों के आधार पर सक्षम परियोजना प्रस्ताव तैयार करने में स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों की सहायता करना है। यह प्रयास ग्रामीण विकास मंत्रालय के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और एसजीएसवाई को आगे बढ़ाने के लिए किए गए हैं।

(2) कार्पोरेट और सामाजिक क्षेत्र के बीच अंतर पाटने के उद्देश्य से कपार्ट ने सीआईआई के सहयोग से गैर-सरकारी संगठनों और अन्य वित्तपोषक संगठनों के बीच संवाद के लिए मंच स्थापित करने की कोशिश की है, ताकि गैर-सरकारी संगठनों और कार्पोरेट निकायों को सबसे निचले स्तर पर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए विकास प्रक्रिया तेज करने में योगदान का अवसर मिल सके।

(3) कपार्ट ने अपनी परियोजनाओं की संभावित क्षमता के स्तर का अनुमान लगाने के उद्देश्य से भारत सरकार के जलवायु परिवर्तन की राष्ट्रीय कार्ययोजना को अनुकूल संस्थागत रूप देने और उसकी रूपरेखा बनाने की कोशिश की है। इस प्रयास का प्रमुख बल मूल्यांकन के समुचित दिशा-निर्देश और कर्मियों के लिए औजारों की किट विकसित करने पर था, ताकि वे कपार्ट के सहयोग से प्रस्तावित क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन पर सहयोग कर सकें। इसका उद्देश्य था कि गैर-सरकारी संगठनों ने जो उपाय विकसित किए हैं, उनका प्रचार-प्रसार किया जाए।

(4) कपार्ट ने ग्रामश्री मेलों के आयोजन संबंधी मापदंडों के लिए एक रूपरेखा विकसित कर ली है और उन्हें संस्थागत बना दिया है।

(5) कपार्ट ने उन गैर-सरकारी संगठनों की पहचान के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है जो ग्रामीण प्रौद्योगिकी और नवाचारों को लेखाबद्ध करने और उन्हें विधि मान्यता दिलाने तथा उनका पेटेंट कराने के काम में लगे हुए हैं।

(6) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से सहायता प्राप्त कार्यशालाओं के जरिये कपार्ट ने उन स्थानीय इलाकों की जरूरतों का विश्लेषण करके पता लगा लिया है, जहाँ स्थानीय एसएंडटी तंत्र के जरिये ग्रामीण प्रौद्योगिकी का प्रचार किया जा सकता है।

(7) कपार्ट तृतीय क्षेत्र के समसामयिक मुद्दों पर अध्ययन को भी प्रोत्साहित करता है।

(8) कपार्ट ने हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक वेब आधारित कार्यक्रम तैयार किए हैं, जिनका इस्तेमाल उसके हितधारक यानी गैर-सरकारी संगठनों द्वारा और संगठन के अंदर किया जाता है।

कार्यान्वयन की प्रक्रिया
(Procedure of Implementation)

जो गैर-सरकारी संगठन कपार्ट की परियोजनाएँ कार्यान्वित करना चाहते हैं, उन्हें पहले निर्धारित प्रारूप में अपने संगठन के विवरण के साथ विस्तृत परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत करना होता है। ये प्रस्ताव आवश्यकता आधारित और लाभार्थी उन्मुख होने चाहिए। इस प्रकार के प्रस्ताव में वर्गवार लाभार्थियों का उल्लेख किया जाए। पहले इन प्रस्तावों की जाँच की जाती है और अगर निर्धारित नीति दिशा-निर्देशों के आधार पर इन्हें ठीक पाया जाता है तो इन प्रस्तावों की सक्षमता का अनुमान लगाने के उद्देश्य से उनका वित्तपोषण - पूर्व मूल्यांकन किया जाता है। कपार्ट के पास विभिन्न परियोजना प्रस्तावों के मूल्यांकन और उनकी प्रगति पर नजर रखने के लिए एक त्रि-स्तरीय तंत्र है। सभी परियोजनाओं का वित्तपोषण - पूर्व, मध्यावधि और बाद में मूल्यांकन किया जाता है, जो सूचीबद्ध संस्थागत मॉनिटरों द्वारा पूरा किया जाता है और जिसके अंतर्गत परियोजना की भौतिक और वित्तीय उपलब्धियों की समीक्षा की जाती है।

अधिक पारदर्शी व्यवस्था अपनाने के उद्देश्य से कपार्ट ने प्रस्तावों के प्रस्तुतीकरण की एक ऑनलाइन व्यवस्था बनाई है। गैर-सरकारी संगठनों को इसके जरिये अपने परियोजना प्रस्ताव ऑनलाइन भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हर गैर-सरकारी संगठन का एनजीओ पोर्टल सिस्टम पर पंजीकरण किया जाता है जिसके बाद उसके प्रस्ताव पर सहायता के लिए विचार किया जाता है। इस तंत्र के जरिये स्थानीय गैर-सरकारी संगठन अपनी परियोजना प्रस्तावों की ताजा स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

नीति-निर्धारकों ने स्वयंसेवी क्षेत्र की सार्थकता व्यापक रूप से स्वीकार की है।

अपनी स्थापना के बाद से कपार्ट ने देशभर की करीब 27,000 परियोजनाओं और 12,000 गैर-सरकारी संगठनों को सहायता दी है। इनमें से कुछ गैर-सरकारी संगठनों को कपार्ट में शुरूआती चरण में सहायता दी थी, जब उन्होंने नीति-निर्धारण और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने के लिए अनोखी रणनीति विकसित की थी। ये गैर-सरकारी संगठन ग्रामीण जनता में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं और लोगों को अपनी पैरोकारी और सूचना के प्रचार-प्रसार तथा ग्रामीण जनता को उनके प्रति संवेदनशील बनाकर सरकार के प्रमुख विकास कार्यक्रमों की जानकारी देते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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